हरि सिंह नलवा का इतिहास क्या है जिसके बारे में सिद्धू मूसेवाला ने गाना बनाया है?

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मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।

तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास topic जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे!

What-is-the-history-of-Hari-Singh-Nalwa-about-which-Sidhu-Moosewala-composed-the-song



दोस्तों आज हम बात करेंगे भारत के इतिहास के महान योद्धा हरि सिंह नलवा के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में तो post में अंत तक बने रहे।


दोस्तों हमारा भारत देश वीरों की धरती है वीर भी ऐसे ऐसे जो सिर्फ fighters नहीं बल्कि उनके दिल में सच्चाई और देश की रक्षा करने की भावना के साथ-साथ सभी धर्मों का पालन करने उसका आदर करने का सम्मान था।


दोस्तों यह वीर दुश्मनों के लिए काल और दोस्तों के लिए फरिश्ता रहे हैं। भारत देश की धरती ऐसे वीरों को समय-समय पर जन्म देती रही है जिनका नाम भारत के इतिहास में दर्ज हो चुका है।


दोस्तों आज हम आपको ऐसे ही एक कुशल योद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं जो मातृभूमि की रक्षा के लिए मर मिटने वाले एक ऐसे सरदार की कहानी जो सिर्फ नाम से ही सिंह नहीं था बल्कि उसके साथ शेर का नाम जोड़ा गया। जिसकी वीरता के चर्चे दूर दूर तक थे।


जिस योद्धा ने अफगानिस्तान तक भारत का झंडा लहराया था और जिसका नाम सुनते ही अफगानिस्तान के बड़े-बड़े शूरवीर घबरा जाते थे जिससे विजय रथ को रोकना सबके लिए असंभव सा हो गया था।


इस योद्धा ने जिस प्रदेश को जीता वहां के लोग दुखी नहीं बल्कि सुखी हो गए थे। क्योंकि वहां पर भी इस वीर ने धर्म का राज्य स्थापित किया।


चोरी, लूट मार, हत्या, जबरदस्ती को खत्म करके इस वीर योद्धा ने रामराज्य की स्थापना की।


इस वीर के मन में जीते हुए राज्य की जनता के प्रति द्वेष नहीं था यह वीर उनकी मां बेटियों का सम्मान करता था।

जी हां दोस्तों भारत का यह वीर था हरि सिंह नलवा।

दोस्तों हरि सिंह का जन्म गुजरांवाला पंजाब में सन् 1762 ई में उप्पल परिवार में हुआ था। हरी सिंह ने वीरों के घर में जन्म लिया था क्योंकि उनके दादा साहब हरीदास सिंह जी अहमद शाह अब्दाली के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए थे। इसलिए हरि सिंह के खून में ही वीरता और साहस कूट-कूट कर भरा हुआ था।


दोस्तों हरि सिंह के मन में बचपन से ही सिख धर्म के नियमों को दिल से मानने और इंसानियत की रक्षा करने की भावना जन्म ले चुकी थी।


उस समय पंजाब पर सरदार रणजीत सिंह का राज था। जो ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत और पूरी दुनिया में सेना का गठन किया था। जो अपने सैनिकों की युद्ध शिक्षा के लिए विदेशी Army Generals को बुलाया करते थे।

आज भी पाकिस्तान में विदेशी French generals की कबरें हैं
जो भारत में सिख सैनिकों को शिक्षा देने आया करते थे।


दोस्तों महाराजा रणजीत सिंह ने केवल युद्ध शिक्षा ही नहीं
बल्कि अपनी प्रजा और सेना को भी विदेशी भाषाओं की शिक्षा तक दिलवाई थी।


दोस्तों पंजाब का एक बहुत बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में भी है।
उसने महाराजा रणजीत सिंह को भुला दिया है या फिर ऐसा भी कह सकते हैं कि वहां के हुक्मरानों ने लोगों के दिमाग से महाराजा रणजीत सिंह के कारनामों को मिटा दिया है।


लेकिन दोस्तों भारत इस न्याय प्रिय और शक्तिशाली राजा को नहीं भुला है। क्योंकि हीरे की पहचान जोहरी ही कर सकता है कबाडी नही। इसलिए सन 1807 में एक बार महाराजा रणजीत सिंह ने आर्मी की भर्ती निकाली तो हरिसिंह भी उस में भाग लेने के लिए पहुंचे।


दोस्तों हरि सिंह की घुड़सवारी और युद्ध कौशल से महाराजा रणजीत सिंह बहुत प्रभावित हुए और उन्हें अपनी सेना का सिपाही बना दिया। उसके बाद दोस्तों इसी साल हरि सिंह नलवे ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसके बाद रणजीत सिंह ने हरी सिंह को 800 घुड़सवारी की सेना देकर उसका सेनापति बना दिया।


दोस्तों एक बार एक शेर ने हमला करके हरि सिंह के घोड़े को मार डाला था। उसके बाद दोस्तों हरि सिंह ने अकेले ही अपनी तलवार के वार से उस शेर को मौत के घाट उतार दिया था और अपने हाथों से उस शेर के जबड़े फाड़ डाले उस दिन के बाद हरि सिंह को नलवा की उपाधि मिल गई और उन्हें बाघ मार भी कहा जाने लगा।


दोस्तों नलवा का अर्थ ही है शेर की तरह पंजो वाला। सच में इस शेर की दहाड़ से पठानों के मन में डर पैदा हो गया था। हरि सिंह नलवा कश्मीर के स्वर और हजारा के governor रहे। 

हरि सिंह ने अपने महाराजा रणजीतसिंह के शासन का विस्तार खैबड दर्रे तक कर लिया था।


दोस्तों हरि सिंह नलवा एक कुशल रणनीतिकार थे। इसलिए वह जानते थे कि किस तरह से आक्रमणकारीयो से भारत माता की रक्षा करनी है। क्योंकि इससे पहले जब भी भारत माता पर विदेशी आक्रमण हुए इसी खैबड के पास से हुए हैं और यह बात इतिहास में दर्ज है कि इसी जगह पर कब्जा करने के  बाद इस रास्ते से भारत पर कभी आक्रमण नहीं हुआ।


दोस्तों हरि सिंह नलवा एक महान योद्धा इसलिए भी कहे जाते हैं क्योंकि उन्होंने अपने से बड़ी बड़ी सेनाओं को हरा कर अपनी विजय का झंडा लहराया।


हरि सिंह ने कश्मीर, मुल्तान, पेशावर, पठानकोट, अट्लोक और जमरूद की बड़ी-बड़ी लड़ाइयां लड़ी।

दोस्तों पाकिस्तान के एक शहर का नाम हरि सिंह नलवा के नाम पर हरिपुर शहर रखा गया था लेकिन दोस्तों पाकिस्तान हरि सिंह की शहादत को भूल चुका है।


हरि सिंह ने खैबर पास के नजदीक जमरूद किले का निर्माण किया जिसे हरि सिंह ने अपनी सेना का base camp बनाया था।


दोस्तों अफगानिस्तान के पठान हरि सिंह से खौफ खाते थे लेकिन हरि सिंह ने उनकी बहन बेटियों की हमेशा इज्जत करी है और  जिसके बारे में एक पठान लड़की बीबी बानो का किस्सा मशहूर है।


हरि सिंह ने जमरूद किले में शेरों की तरह राज किया। लेकिन जब  1837 में महाराजा रणजीत सिंह के पोते की शादी में शामिल होने के लिए ज्यादातर सिख सैनिक शादी के लिए रवाना हो चुके थे।


तो दुश्मन ने मौके का फायदा उठाकर इस किले पर आक्रमण कर दिया था तो दुश्मन के इस तरह अचानक हुए हमले और दुश्मन की तादाद बहुत ही ज्यादा होने के बाद भी हरि सिंह नलवा ने उन से लड़ना जारी रखा। लेकिन दुश्मन के इस तरह अचानक हमले और दुश्मनों की संख्या ज्यादा होने की वजह से हरिसिंह नलवा की मृत्यु हो गई।


दोस्तों हरि सिंह ने मरने से पहले अपने सैनिकों को आदेश दिया कि उनकी मौत की खबर बाहर नहीं जानी चाहिए। क्योंकि दुश्मन की फौज में हरी सिंह नलवा का खौफ था। इसलिए 1 हफ्ते तक बाहर बैठी फौज हरि सिंह के खौफ में किले पर चढ़ाई नहीं कर सकी और इस बीच सिख सैनिकों के वापस आने के बाद अफगानियो को मैदान छोड़कर भागना पड़ा।


दोस्तों इस बार भारत के इस वीर ने अपनी जान देकर अपनी भारत माता अपनी मातृभूमि की रक्षा की और अपने देश का झंडा बुलंद रखा।


दोस्तों यह थी भारत के महान योद्धा हरि सिंह नलवा की वीर गाथा।


दोस्तों उम्मीद करती हूं आज की जानकारी आपको पसंद आई होगी ऐसी ही ज्ञानवर्धक और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी website पर आए।


दोस्तों आज के लिए बस इतना ही मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।

आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।।

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