पुराने समय में राजा को रानी के साथ दासी भी दी जाती थी असल में उनका क्या काम था?

पुराने समय में राजा को रानी के साथ दासी भी दी जाती थी असल में उनका क्या काम था(In olden times, along with the queen, the king was also given a maidservant, actually what was their job)?

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दोस्तों पुराने समय में विशेषकर monarchy और feudalism यह जमाने में राजा और रानियों के लिए दासियों का होना आम बात थी। दोस्तों राजाओ के लिए दासियों का समय के अनुसार अलग-अलग काम होता था। राजा की दासियों को अलग-अलग काम आवंटित किया जाता था। दोस्तों दासिया बहुत से काम करती थी जो भी राजा से संबंधित होते थे। कई दासियों ने अपनी योग्यताओं और प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया और समाज में उच्च पदों पर भी पहुंचीं। इस लेख में हम दासियों की भूमिका के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और उनके कार्यों के बारे में अधिक जानेंगे।

1. Household Management: 

दोस्तों को राजा के महल को सजाने संवारने और साफ सफाई का कार्य दासियों के अधीन रहता था। वे राजमहल को सजाने में महत्वपूर्ण भूमिका रखते थे। दोस्तों महल की दासिया अनेक कार्य करती थी जैसे कि making the bed, arranging furniture, dusting, sweeping व दोस्तों साथ ही दासिया राजा के लिए माहौल भी बनाने का कार्य करती थी।

2. Personal Care: 

दोस्तों राजमहल की दासिया राजा की पर्सनल जरूरतों को पूरा करने का भी खास ख्याल रखती थी। ऐसे बहुत से कार्य होते हैं जैसे कि: राजा की dressing and undressing, राजा के नहाने का जुगाड़ करना(preparing the king's bath), grooming व राजा की personal hygiene को maintain करना आदि। वे राजा के साथ दोस्त की तरह रहते हैं और वह उसके सुख और दुख को खुद से जोड़े रखते हैं।

3. Dressing and Attire:

दोस्तों राजा की दासियों का मुख्य कार्य राजा को कपड़े पहनाना और उसके कपड़े उतारना है। दोस्तों महल की दासिया राजा के लिए सही अवसर पर सही ड्रेस का चुनाव करती हैं। महल की दासिया यह भी सुनिश्चित करती है कि राजा की ड्रेस साफ-सुथरी और फिट हो ताकि राजा अधिकतम सुंदर दिख सके।

4. Personal Assistance: 

दोस्तों राजमहल की दासिया राजा के लिए personal attendants की तरह काम करती है। राजा को दरबार के लिए सूचना देना अगर किसी का कोई मैसेज राजा तक पहुंचाना है तो वह वासियों के माध्यम से ही होता था। दोस्तों राज महल के अन्य लोगों और राजा के बीच में दासिया एक बिचौलिए की भांति काम करती थी।

5. Etiquette and Protocol:

दोस्तों पुराने समय में बहुत से राज दरबारों में जब नए राजकुमारों को गद्दी पर बैठना होता था तो उन्हें कुछ भी पता नहीं होता था। उस समय उन्हें गद्दी के बारे में पूरा व्यवहार और जनता और मंत्रियों से कैसे डील करना है वह सबसे सीखाना दासियों का ही काम होता था।
दोस्तों दासियां राजा को अलग-अलग वस्त्र देकर उन्हें अलग-अलग पार्टी व फंक्शंस के लिए तैयार करती थी साथ ही में उन्हें यह भी बताती थी कि उन्हें कैसे व्यवहार करना है।

6. Entertainment and Recreation:

दोस्तों पुराने समय में दासियों का उपयोग राजा के मन को बहलाने के लिए होता था। अगर राजा दासियों के नाच को देखना पसंद करता तो वह नाचती थी अगर गाने की बोलता तो दासियों गाना गाती थी। अगर वह किसी और मनोरंजन की बात करे तो उसका दासिया उसी प्रकार से मनोरंजन करती थी यह सब राजा की चाहत पर होता वह उनसे किस प्रकार का मनोरंजन चाहता है। जैसे अनारकली राजा अकबर की जाती थी और वह नाच गाना करती थी। दासियों का कार्य राजकुमारों को आराम करने में भी मदद करना भी है वे छोटे राजकुमारों को कहानियां सुनाकर सुलाती थी।

7. Confidentiality and Loyalty:

पुराने समय में वफादारी का बहुत ही मूल्य होता था और जब भी कोई दास दासियां आपके गुलाम हो जाते हैं या फिर आपको भेंट कर दिए जाते हैं तो फिर वह आपके सबसे वफादार होते हैं आप उन्हें जहां जैसा बोले वह भी वैसा ही करेंगे। इसलिए भी राजा के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि उसके साथ दासियां हो। दोस्तों कई बार राजाओं और रानियां के बीच के संवाद को भी दासियो द्वारा अपने मन में ही रखा जाता था। 

8. Symbolic Presence:

दोस्तों किसी भी राजा के लिए रानी की तरह दासियो का भी उतना ही मैं तो समझा जाता था जितना किसी ताकतवर सेना का। अगर किसी राज दरबार में अधिक दासिया होती तो उस राजा को पुराने समय में बहुत ही महान समझा जाता था। तो राजा अपनी महानता के लिए भी अधिक से अधिक दासियो को अपने दरबार में रखते थे। साथ ही साथ दोस्तों जब दरबार में अधिक दासिया होती थी तो पहले काम में भी अधिक हाथ बटवा देती और कार्य भार को काफी हद तक कम कर देती थी।

दोस्तों यह जानना महत्वपूर्ण है कि अलग-अलग समय पर अलग-अलग राजाओं ने नई नई प्रथा को जन्म दिया जिनमें से दास प्रथा भी एक हैं।  किसी समय में अधिक से अधिक दासियो को रखने को
अभिमान समझा जाने लगा। फिर उसके बाद धीरे-धीरे करके दास प्रथा को समाप्त करना भी उचित लगने लगा तो यह है समय पर आधारित है की दासियां दरबार में होनी चाहिए।

दोस्तों पुराने समय में जो राजा को रानी के साथ दासिया दी जाती थी उनका मुख्य कार्य रानी की सेवा करना वह उसके पहनावे और खान-पान का ध्यान रखना होते थे। दशन का मुख्य कार्य दरबार की सेवा करना होता था और भी अपना सारा जीवन इसी में बिता देती थी।

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