क्या हमारा भविष्य निश्चित है या उसे कर्म करके बदला जा सकता है?

हैलो दोस्तों कैसे हैं आप उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे और स्वस्थ होंगे,
thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया मै आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग।

तो चलिए देखते हैं क्या है आज के लिए खास:

क्या हमारा भविष्य निश्चित है या उसे बदला जा सकता है?

यही है हमारा आज का टॉपिक! आइए जानते हैं क्या है
सच।
क्या सब कुछ पहले ही लिखा जा चुका है कि हमारे साथ क्या होगा?

क्या हमारा भविष्य निश्चित है या उसे कर्म करके बदला जा सकता है?

संसार में दो तरह के लोग होते हैं एक वह होते हैं जो कहते हैं कि आगे कुछ नहीं होता सब कर्म होता है और आदमी के कर्म ही उसके आगे का जीवन निर्धारित करते हैं।

दूसरे लोग वह है जो भाग्य में विश्वास रखते हैं और मानते हैं कि जो भाग्य में लिखा है वह होकर ही रहेगा। लेकिन यह दोनो लोग समय-समय पर अपने विश्वास से डगमगा जाते हैं।
एक इंसान  सारी जिंदगी  इन कर्म और भाग्य के नाम की दो बिंदुओं की दूरी पर घूमता रहता है और दिन वह इस संसार और इन सवालों को यही छोड़ कर चला जाता है।

आस्तिक की टीम ने इस पर बहुत रिसर्च किया है और इस नतीजे पर पहुंची है कि सब कुछ पहले से ही लिखा होता है जिसे विधि का विधान कहते हैं लेकिन क्यों और कैसे?

इसे जानने के लिए अंत तक इस लेख को पूरा पढ़ें तभी आप इसके बारे में सब कुछ  समझ पाएंगे।

यह पहले से ही लिखा हुआ है कि आप इस तारीख को यह सब करेंगे अब आप कहोगे कि यह कोई जरूरी नहीं है। मैं इसको आज ना करके इसको कल भी कर लूंगा आज मैं इसको नहीं करूंगा और आप इसको बीच में ही छोड़ सकते तो यकीन मानिए वह भी इस तरह ही निर्धारित होगा।

इसलिए आप अगले क्षण चाहे जो भी करें वह वैसे ही होगा।
जैसे कि मान लीजिए सब पहले से ही लिखा हुआ है ।

एक नजर से देखे तो विधाता ने हम सबके लिए एक रास्ता तय कर दिया है और उस पर हम अपने जीवन भर चलते रहते हैं और उस से भटकने का हमारे पास कोई रास्ता उपलब्ध नहीं होता।

इसलिए आपका आने वाला समय भी उतना ही असल है जितना कि आपका बीता हुआ फर्क सिर्फ इतना है कि एक को आपने देखा है और दूसरे को नहीं।
और समय है कि आपको निरंतर गति से आगे ले जाए जा रहा है और भविष्य से मिलाते चला जा रहा है।

इसका एक और प्रमाण है भविष्य बताने वाले इंसान सब जानते हैं कि दुनिया में कई बार ऐसे लोग हुए हैं जिन्होंने कई बार भविष्यवाणी की है और वह सच भी हुई है।

हालांकि कई लोग इसे महज इत्तफाक मानते हैं लेकिन इतनी ज्यादा बात सच होने के पीछे कुछ तो सच्चाई है।
दरअसल इन लोगों को भविष्य की एक झलक मिल जाती है और वह तब संभव है जब भविष्य पहले से ही लिखा हुआ हो।

अब चर्चा करते हैं हिंदू धर्म में भविष्य और भाग्य के बारे में लिखी हुई बातों की।

हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं और ग्रंथों कई लोगों का भाग्य पहले से ही लिखे होने का प्रमाण है जैसे कि कंश को पता था कि देवकी के गर्भ से उत्पन्न हुआ उसका आठवां पुत्र उसका वध करेगा और भगवान श्री कृष्ण ने उसका वध किया। 

ऐसे ही रामायण में भी पहले से ही निर्धारित  था कि भगवान राम शबरी के आश्रम में आएंगे।

ऐसा ही एक और उल्लेख है कि महान तुलसीदास की रचना रामचरितमानस में मिलता है जिसमें उन्होंने लिखा है ।

होई  सोहि जो राम रचि राखा, को करी तर्क बढ़ावे साखा,
जिसका  अर्थ है आखिरकार होना तो वही है जो भगवान श्रीराम ने रचा है कोई तर्क या वितर्क करने से अपनी सोच को बढ़ा सकता।

इसलिए भविष्यवाणी करना तभी संभव हो सकता है जब वह पहले से ही निर्धारित हो। 
रामायण में भगवान राम और सीता जी को ही नहीं बल्कि दशरथ जी और गुरु वशिष्ट जी को भी पहले से ही यह सब पता था कि बाद में क्या होने वाला है और तो और महर्षि वाल्मीकि जी ने तो रामायण का उत्तरकांड घटित होने से पहले ही लिख दिया था।

युगो युगो से भारत ऐसे ऋषि-मुनियों से भरा रहा है जो भूत और भविष्य दोनों को देख सकते थे। और शायद आज भी ऐसे ऋषि मुनि आपको हिमालय में तप करते मिल जाएंगे। यह तो थी हिंदू धर्म के ग्रंथों और प्राचीन काल की बाते।

लेकिन इस बात पर आधुनिक विज्ञान का पक्ष रखना भी बहुत आवश्यक है।

आधुनिक विज्ञान में भी अभी तक की बताई हुई धारणाओं को सही साबित करने के प्रमाण हैं मैसक प्लांक ने जब १९०० में क्वांटम सिद्धांत दुनिया को बताया इसके अनुसार समय भी कोई निर्धारित इकाई नहीं है और इसे भी आगे पीछे धीमा तेज किया जा सकता है। 

इसके 5 साल बाद ही सन उन्नीस सौ पांच में ऑल वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक सिद्धांत बताया थ्योरी ऑफ रिलेक्टिविटी। थ्योरी के अनुसार वस्तु की गति जितनी तेज होगी उसके लिए समय की गति उतनी ही धीमी हो जाएगा।

इसलिए अंतरिक्ष में बहुत अधिक गति से उड़ने वाले विमानो
मैं समय बिताने वाले एस्ट्रोनॉट के लिए 1 दिन होता है। वही धरती पर रहने वाले लोगों के लिए 2 दिन या उससे ज्यादा भी हो सकता है। इसलिए गति में परिवर्तन करके इंसान समय में बदलाव ला सकता है। हालांकि इंसान ऐसा करने में अभी तक सफल नहीं हुआ है लेकिन शायद भविष्य में ऐसा कर पाए।

अब सब तर्क सुनने के बाद आपके मन में यह सवाल जरूर उठता है कि अगर सब कुछ पहले से ही लिखा हुआ है तो कर्म का तो कोई महत्व ही नहीं रहा फिर हम कर्म करे ही क्यों?

और अगर कोई आदमी बहुत अच्छा या बुरा कर्म करता है तो उसका श्रेय उसको मिलना ही नहीं चाहिए। क्योंकि वह तो सिर्फ अपने रास्ते पर चलता जा रहा है जो कि किसी और ने तय किया है। इसके जवाब के लिए मैं आपको बता दूं कि कर्म करने का निर्णय हम अपनी बुद्धि से लेते हैं और बुद्धि वैसी ही होती है जैसा समय चाहता है आप  एक क्षण किसी चीज के बारे में अच्छा सोचते हैं तो 2 दिन बाद ही आपको उसके बारे में बुरे ख्याल आ सकते हैं।

और यह सब इसलिए होता है क्योंकि समय ऐसा चाहता है।
आपकी सोच आपके जीवन के अनुभवों से विकसित होती है और यह अनुभव समय की ही देन है। एक यह भी सच है कि आपका भविष्य आपके कर्मों से निर्धारित होता है और वह कर्म करवाने के पीछे भी समय का ही हाथ है और समय तो पहले से ही सब का लिखा हुआ होता है!

 इसलिए अपने समय को अच्छे कर्मों के लिए इस्तेमाल करें

आपका भविष्य अच्छा ही होगा।

आज के लिए बस इतना ही नमस्कार।

दोस्तों उम्मीद करती हूं आज की जानकारी आपको बेहद पसंद आई होगी। ऐसी ही नई नई जानकारी पढ़ने के लिए आप मेरी वेबसाइट पर आए।

आज के लिए बस इतना ही मै आपसे फिर मिलती हूं  एक और नई जानकारी के साथ। जो आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगी बहुत इंटरेस्टिंग होगी।

धन्यवाद, अपना और अपने परिवार का ध्यान रखें। अपने चारों तरफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। 

आपकी दोस्त
 पुष्पा डाबोदिया।

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