भारतीय महाकाव्य रामायण के अनुसार कौन कुंभकर्ण के भाई थे?

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मैं हूं आपकी दोस्त अंशिका डाबोदिया।

दोस्तों आज हम जानेंगे की भारतीय महाकाव्य रामायण के अनुसार कौन कुंभकर्ण के भाई थे।

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आज हम आपको रावण के परिवार के बारे में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे और जो लोग जानते हैं उनके लिए भी जरूर कुछ नया सीखने को मिलेगा इसलिए article को पूरा पढ़े।


दोस्तों काफी समय के बाद भयभीत राक्षस सुभानी अपनी गुफा से बाहर निकला। तो लंकापुरी में कुबेर का राज देखकर सोच में पड़ गय। काफी देर सोचने के बाद उसने निश्चय किया कि वह सबसे पहले कुबेर के बारे में सब कुछ पता करेगा और उसने ऐसा ही किया। 

उसके बाद पाताल में वापस आकर सुभानी ने अपनी पुत्री कैक्सी को समझाते हुए यह कहा था कि लंकापुरी में निवास करने वाले महा तेजस्वी कुबेर महर्षि पुलक के बड़े ही तेजस्वी महर्षि विश्रवा के पुत्र हैं इसलिए तुम खुद जाकर महर्षि विश्रवा को ही अपने पति के रूप में वरण कर लो और उन्हीं के साथ रहकर उनकी सेवा करो।


उन्होंने कहा कि ऐसा करने से तुम्हारे पुत्र भी वैसे ही होंगे जैसे धनेश्वर कुबेर है और तुम्हारे उन्हीं तेजस्वी पुत्रों के द्वारा ही हमारे राक्षस कुल का सारा भय डर समाप्त हो सकेगा।

पिता सुभानी की बात सुनकर कैक्सी पाताल लोक से निकलकर महर्षि विश्रवा के आश्रम की ओर उनका वर्णन करने के लिए उनके आश्रम पहुंच गई थी।


दोस्तों जिस समय कैक्सी महर्षि विश्रवा के आश्रम पहुंची थी उस समय महर्षि विश्वा संध्या अग्निहोत्र कर रहे थे। इसलिए कैक्सी उनके पास ही सिर झुका कर खड़ी हो गईं थी।


अग्निहोत्र समाप्त होने के बाद महर्षि विश्रवा ने कैकसी से पूछा था कि तुम किसकी कन्या हो और किस कार्य से मेरे पास आई हो। इस पर कैक्सी ने जवाब दिया कि मेरा नाम कैक्सी है और मैं राक्षस राज शुबानी की आज्ञा से आपके पास आई हूं और मैं किस कारण से आपके पास आई हूं उस कारण का आप स्वयं ही अपने तपोबल से पता लगा लीजिए।


क्योंकि मुझे अपने मनोभाव को प्रकट करने में आपके सामने लज्जा आ रही है। इसलिए आप मेरे मनोभाव को अपने तपोबल से जानने का प्रयास करें।


दोस्तों कैक्सी की बात सुन कर महर्षि विश्रवा ने थोड़ी देर ध्यान लगाकर अपने तपोबल से कैक्सी के मन के भाव को जानकर। उसने कैक्सी से कहा कि तुम मुझसे पुत्र प्राप्त करने के लिए मेरे पास आई हो और महर्षि विश्रवा ने कहा कि मैं तुम्हारी यह इच्छा जरूर पूरी करूंगा।

लेकिन उससे पहले तुम यह जान लो कि जिस तरुण बेला में तुम यह इच्छा लेकर मेरे पास आई हो। उस तरूण बेला में अगर तुमने मुझसे पुत्र प्राप्त किया तो उस तरुण बेला के प्रभाव से तुम्हारे सभी पुत्र अति क्रूर और विशाल शरीर के साथ भयंकर पैदा होंगे और तुम क्रूरता पुर्ण कार्य करने वाले राक्षस पुत्रों को ही जन्म दोगी।


महर्षि विश्रवा की यह बात सुनकर कैक्सी उदास होकर उनके चरणों में गिर पड़ी थी और उन से विनती करके कहने लगी कि भगवान  आप तो सब जानते हैं। आप अंतर्यामी हैं। आप ब्रह्मवादी महात्मा है। मैं आपसे ऐसे दुराचारी पत्रों को प्राप्त करने की आशा नहीं रखती हूं।अतः आप मुझ पर कृपा कीजिए।


दोस्तों ऐसा सुनकर महर्षि विश्रवा को कैक्सी पर दया आ गई और वह कैक्सी को धीरज बंधाते हुए बोले कि मेरा सबसे छोटा पुत्र मेरे वंश के अनुसार धर्मात्मा होगा। इसके अलावा तुम्हारी सभी संताने राक्षस और भयंकर शरीर वाली और कुरूर ही होगी।


इसके बाद कैक्सी महर्षि विश्रवा को अपने पति के रूप में वर्णन करके उनके साथ रहने लगी और उनकी सेवा करने लगी थी।


दोस्तों कुछ समय के बाद कैक्सी ने एक अत्यंत क्रूर स्वभाव वाले और भयंकर राक्षस पुत्र को जन्म दिया था। जिसके 10 मस्तक और 20 भुजाएं थी और वह कोयले के पहाड़ जैसा काला था। कैक्सी के उस पुत्र के पैदा होते ही सारी धरती कांप उठी थी और सभी सरिताओ का स्वामी समुद्र भी विशुद्ध हो उठा था।


महर्षि विश्ववा ने अपने उस 10 मस्तक वाले पुत्र का नाम दसग्रीव रखा था।


दसग्रीव के जन्म के कुछ वर्षों बाद कैक्सी ने अपने दूसरे पुत्र को जन्म दिया था।


कैक्सी का यह दूसरा पुत्र बड़ा ही विशाल काय शरीर वाला था उसके शरीर से बड़ा शरीर पूरे संसार में किसी का नहीं था वह इस जगत में कुंभकरण के नाम से प्रसिद्ध हुआ था।


कुंभकरण के जन्म के बाद कैक्सी ने अपने गर्भ से एक राक्षसी पुत्री को जन्म दिया था जो बड़ी ही विकराल मुख वाली थी इसलिए कैक्सी की यह पुत्री शूर्पणखा के नाम से प्रसिद्ध हुई थी। 

शूर्पणखा के जन्म के कुछ समय बाद कैक्सी ने अपने अंतिम पुत्र महात्मा विभीषण को जन्म दिया था।


कैक्सी के उस पुत्र का जन्म होने पर आसमान से फूलों की वर्षा होने लगी थी। इसलिए कैक्सी अपने उस पुत्र के जन्म के बाद अपने आप को धन्य समझने लगी थी।

Conclusion:

दोस्तो कैक्सी मैं तीन पुत्रों और एक पुत्री को जन्म दिया तीन पुत्रों में कुंभकरण विभीषण और रावण है व कैक्सी की एक पुत्री का नाम शूर्पणखा है।


दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको आज की रावण के परिवार के संबंध में यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी ऐसी ही रोमांचक और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए।

आज के लिए बस इतना ही मिलते हैं एक और रोचक पोस्ट के साथ तब तक  अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई का विशेष ध्यान रखें धन्यवाद आपकी दोस्त अंशिका डाबोदीया।।



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