लॉकडाउन में ऑनलाइन चल रही क्लासेज के चलते बच्चों की पढ़ाई पर क्या असर पड़ा है?

हैलो दोस्तों कैसे हैं आप उम्मीद करती हूं आप सब अच्छे
और स्वस्थ होंगे।
thebetterlives.com में आपका स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।

दोस्तों मै आपके लिए लेकर आती हूं बहुत ही खास और इंटरेस्टिंग जानकारी जो आपकी नॉलेज के लिए है बेहद इंर्पोटेंट!
तो आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं एक खास जानकारी जो आपके लिए है बेहद जरूरी और इंटरेस्टिंग!

दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि कोरोना से हुए लॉकडाउन में ऑनलाइन चल रही क्लासेज के चलते बच्चों की पढ़ाई पर क्या असर पड़ा है?

लॉकडाउन में ऑनलाइन चल रही क्लासेज के चलते बच्चों की पढ़ाई पर क्या असर पड़ा है?


जी हां दोस्तों इस टॉपिक पर आज हमें बात करेंगे!

तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:-

दोस्तों अक्सर जब हम स्कूल कॉलेज की बात करते हैं तो पढ़ाई लिखाई की बात करते हैं।
इन शब्दों को हमेशा से साथ-साथ बोला और लिखा गया है
लेकिन कोरोनाकाल में बच्चे ऑनलाइन पढ़ तो रहे हैं।
क्लासेज तो सबकी चल रही है लेकिन यह बच्चे लिख नहीं पा रहे हैं।

दोस्तों बच्चों में लिखने की क्षमता पहले के मुकाबले कम होती जा रही है यानी जब आप कहते थे पढ़ाई लिखाई इसका मतलब होता था बच्चे पढ़ाई भी करेंगे और लिखाई भी करेंगे।

लेकिन दोस्तों बच्चे अब पढ़ाई तो कर रहे हैं लेकिन लिखाई नहीं कर रहे हैं।

दोस्तों जयपुर में हुआ एक सर्वे यह बताता है कि पांचवी क्लास तक के बच्चों की 20 परसेंट तक की हैंडराइटिंग अब खराब हो चुकी है।

बच्चों को अब लिखने में पहले के मुकाबले दोगुना वक्त लगता है क्योंकि उनके लिखने की प्रैक्टिस छूट गई है।

दोस्तों हैंडराइटिंग बिगड़ने का असर लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ज्यादा देखने को मिला है।
30% बच्चों की हिंदी और 10% बच्चों की अंग्रेजी की हैंडराइटिंग खराब हो चुकी है।

दोस्तों एक स्पेशल रिपोर्ट के मुताबिक जितने भी माता-पिता हैं जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए जाते हैं उनको यह पोस्ट जरूर पढ़नी चाहिए और अगर आपके घर में भी बच्चे स्कूल जाते हैं तो थोड़ी सी देर के लिए आप बच्चों को अपने पास बिठाकर इस पोस्ट को पढ़कर जरूर सुनाएं।

दोस्तों कोरोना संक्रमण ने बच्चों और बड़ों को जैसे घर में कैद किया तो मानो स्कूल और ओफिस जाने की प्रथा ही जैसे खत्म हो गई।

वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लासेज ने इस समस्या का समाधान निकाला लेकिन बच्चों के मामले में ऑनलाइन क्लासेज अच्छा समाधान नहीं बन पाई।

दोस्तों ऑनलाइन क्लासेज का सबसे बड़ा नुकसान और असर बच्चों की हैंडराइटिंग पर पड़ा है।

दोस्तों एक परिवार के 3 छोटे बच्चे ऑनलाइन क्लासेस ले रहे थे। तीनों बच्चे पहली से पांचवी क्लास में पढ़ने वाले हैं।
उनके माता-पिता ने देखा कि तीनों बच्चे लिखने में बिल्कुल भी रुचि नहीं ले रहे हैं।

इन्होंने स्कूल में लिखना भी सीखा था लेकिन अब ऑनलाइन क्लासेज लेने की वजह से लिखने का काम बहुत कम हो गया है। इससे उनकी हैंडराइटिंग तो खराब हुई ही है। साथ ही उनके लिखने की गति भी कम हो गई है।

दोस्तों मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट कनेक्शन कहने को तो ऑनलाइन लर्निंग बच्चों को स्कूल भेजने से भी ज्यादा आसान है लेकिन क्या वाकई सब कुछ इतना आसान है?

दोस्तों ऑनलाइन क्लास के कांसेप्ट को समझें दो इसमें तो इसमें क्लास के सभी बच्चों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाता है जिसमें हर दिन होने वाली क्लास का टाइम टेबल दिया जाता है।

दोस्तों जिस तरह स्कूल में 1 दिन में 5, 6 सब्जेक्ट की क्लास होती है  इसी तरह इस ग्रुप में टीचर बच्चों को अगले दिन होने वाली क्लास और उस में पढ़े जाने वाले चैप्टर के बारे में बताते हैं जिन बच्चो के पास होने वाली क्लास की नई किताबें नहीं है उनके पास पीडीएफ या व्हाट्सएप फाइल के जरिए चैप्टर भेजे जाते हैं।

और फिर वीडियो के जरिए टीचर बच्चे को यह चैप्टर समझाते हैं यह सुनने में जितना आसान है असल में उतना ही मुश्किल है क्योंकि किसके लिए बच्चों को हर दिन 4 से 5 घंटे फ़ोन या कंप्यूटर या फिर लैपटॉप के आगे बैठना पड़ता है

दोस्तों जिसकी वजह से बच्चे आंखों में चुभन आंखों से पानी बहना और सिर दर्द की शिकायत करते हैं।
छोटे बच्चे बिना पेरेंट्स की मदद के कंप्यूटर नहीं चला पाते।
दोस्तों कई बच्चे तो इतने छोटे हैं जो कंप्यूटर में कभी भी कोई  भी बटन दबा देते हैं

दोस्तों इसलिए पेरेंट्स को लगातार उनके साथ बैठना पड़ता है
ऑनलाइन क्लास लेने के लिए इंटरनेट का होना बिल्कुल जरूरी है जिन बच्चों के पास वाईफाई और लैपटॉप नहीं है उन  बच्चों को फाइल डाउनलोड करने में काफी दिक्कत आती है।

दोस्तों साथ ही खराब नेटवर्क के चलते क्लास  बीच बीच में अटकती रहती है जिससे बच्चों को ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल होती है।

दोस्तों इसके अलावा कई पेरेंट्स ऐसे भी हैं जो बच्चों के सिलेबस को ही नहीं समझ पाते ऐसे में उन को बच्चों के साथ बैठकर समझाने में दिक्कत होती है क्योंकि कई गांव में बच्चों के माता-पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होने के कारण यह दिक्कत ज्यादा देखने को मिल रही है।

दोस्तों बैक टू बैक ज्यादा क्लास होने के कारण बच्चे ज्यादा देर तक एक जगह बैठ नहीं पाते हैं और वह थक जाते हैं जिसकी वजह से उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है।

दोस्तों ऑनलाइन क्लासेज की समस्या से होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में आपकी क्या राय है हमें जरूर लिखकर बताना आशा करती हूं आज की जानकारी आपको पसंद आई होगी।

दोस्तों ऐसी ही इंटरेस्टिंग और महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए आज के लेख में बस इतना ही

मिलते हैं एक और महत्वपूर्ण जानकारी के साथ तब तक अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें अपने चारों तरफ सफाई बनाए रखें धन्यवाद।

आपकी दोस्त पुष्पा डाबोदिया।।

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